Kisi Ki Aawaj Se Sukoon Latest

Download Kisi Ki Aawaj Se Sukoon Latest PDF/ePub or read online books in Mobi eBooks. Click Download or Read Online button to get Kisi Ki Aawaj Se Sukoon Latest book now. This website allows unlimited access to, at the time of writing, more than 1.5 million titles, including hundreds of thousands of titles in various foreign languages.
Tuti Ki Aawaz

Author: Harishikesh Sulabh
language: hi
Publisher: Rajkamal Prakashan
Release Date: 2020-03-01
हृषीकेश सुलभ की कहानियाँ तेज़ी से बदले और बदलते हुए समाज की कहानियाँ हैं। ये कहानियाँ उन कारकों की गहरी और सघन पहचान करती हैं जिनके कारण, आज के समय में, आदमी तुच्छ और अपदार्थ हुआ है। उनकी कहानियाँ पढ़कर प्राय: ही भीष्म साहनी और अमरकान्त की बहुत-सी कहानियाँ याद आती हैं। हृषीकेश सुलभ की कहानियाँ एक ओर यदि राजनीति में मनुष्य की स्थिति और नियति को परिभाषित करती हैं, वहीं वे एक कारक के रूप में साम्प्रदायिकता के उभार को भी पर्याप्त बेधक दृष्टि से देखती हैं। ये कहानियाँ उनके तीन संग्रहों में छपकर अब एकाग्र रूप से यहाँ संकलित हैं। यहाँ कहानियों का क्रम आगे से पीछे की ओर है—यानी बाद की कहानियाँ पहले दी गई हैं और पहले की बाद में। लेकिन कहानियों के लेखन-प्रकाशन वर्ष की चिन्ता के बिना भी इनके पाठ में कलागत कोई बड़ा अन्तर सामान्यत: पकड़ में नहीं आता। यहाँ किसी लेखक की अभ्यास के लिए लिखित आरम्भिक कहानियों जैसा कुछ नहीं है। इन कहानियों की रेंज बड़ी और व्यापक है—पत्रकारिता, स्त्री-यातना के प्रसंग, रंगमंच की दुनिया, दलित चेतना का उभार आदि से मिलकर इन कहानियों की दुनिया बनती है। हृषीकेश सुलभ की कहानियों की भाषा अपने पात्रों और उनके परिवेश से गहरे जुड़ी भाषा का उदाहरण है। बिम्ब, प्रतीक और दूसरे काव्योपकरणों के इस्तेमाल में न सिर्फ़ यह कि वे कोई परहेज़ नहीं बरतते, बहुत सजगता से वे इन्हें सहेजते और सँवारते हैं। किरणें यहाँ फुदकती हुई ओसकणों को चुगती हैं। इसी तरह जाड़े की धूप के टुकड़े पक्षियों की तरह फुदकते हैं। इन कहानियों की भाषा की सबसे बड़ी सफलता संवादों में दिखाई देती है। एक दूसरे में घुलती और एकाकार होती ब्योरों और संवाद की यह भाषा इन कहानियों की पठनीयता को आश्चर्यजनक उठान देती है। बदलते हुए समय का अक्स इन कहानियों में एहतियात से रखे गए साफ़ शीशे में झलकते अक्स की तरह देखा और पढ़ा जा सकता है। —मधुरेश