Gulam Mandi Kiski Rachna Hai

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Kahani: Nai Kahani

Author: Dinesh Prasad Singh
language: hi
Publisher: Motilal Banarsidass Publishe
Release Date: 2008
them all and have their own contribution to make to on-going discussions.
सुर्ख़ गुलाब पन्नों पर (लघु कविताएँ)

Author: बिंदु शर्मा 'नेहा'
language: hi
Publisher: SGSH Publications
Release Date: 2025-03-05
कविता साहित्यिक कला का प्राचीनतम रूप है जिसमें कवि अपनी भावनाओं, अनुभूतियों को भाषा के सौंदर्यपरक रूप में संगठित करता है। कविता में शब्द योजना बहुत महत्वपूर्ण होती है। शब्दों का चयन कविता में कवि की अनुभूतियों को चमत्कारिक बना देता है। वर्तमान समय में जो कविता लिखी जा रही है उसमें इसी शब्द योजना से उत्पन्न चमत्कार का अभाव है। इससे कविता की रसानुभूति लुफ्त हो गई है और कविता एक रूखा गद्य या रसहीन, अनुभूति विहीन तुकबंदी बनकर रह गई है। कविता प्राचीन काल में छंद में ही लिखी जाती थी। अज्ञेय और निराला ने इस मिथ को तोड़ा और कविता को छंद की बंदिशों से बाहर निकाला। इससे कविता में अनुभूति की सच्चाई और यथार्थवादी दृष्टि का समावेश हुआ। इस नई कविता ने काव्य जगत में एक क्रांति की शुरुआत की। छंद विधान की तकनीकी बाधाओं से मुक्त होकर कविता ने नए यथार्थवादी आयाम को छुआ। छंद मुक्त कविता में भी रस अलंकार शब्द-शक्ति से कवियों ने चमत्कार पैदा किया है। बिंदु पदार्थ का सूक्ष्मतम कण होता है। संपूर्ण पदार्थ की रचना बिंदुओं से मिलकर बनी होती है। कविता जब कवि के मन में आकार ले रही होती है तब वह इसी बिंदु से प्रारंभ होती है। बेहद सूक्ष्मतम कण के रूप में एक काव्यानुभूति जागती है। काव्य का यह भ्रूण रस, शब्द, अलंकार से पोषित होकर एक सुंदर और स्वस्थ कविता के रूप में सामने आता है। इस सूक्ष्मतम बिंदु को पहचानना और उसे पकड़ना कवि के कौशल पर निर्भर करता है क्योंकि अक्सर यह सूक्ष्म बिंदु शब्दों की पकड़ में नहीं आता। यहीं से कविता का जन्म होता है। कविता के जन्म से ही एक कवि का भी जन्म होता है। बिंदु शर्मा 'नेहा' का कविता की कायनात में यह पहला कदम है।