Char Din Aankhon Mein Nami Hogi

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Muskurati hai subah

न गीत लिखना आसान है और न ही ग़ज़ल कहना। सही मायने में ग़ज़ल के एक शेर में पूरी बात कहने का सलीक़ा अगर आ गया तो ग़ज़ल बहुत आसान लगने लगती है। मुशायरों में आने-जाने से शायर दोस्तों की सुहबत मिली तो ग़ज़ल कहने का शौक़ पैदा हो गया। धीरे-धीरे इतनी ग़ज़लें हो गईं कि लगने लगा कि इनकी तो एक किताब बनाई जा सकती है। कुछ शायर दोस्तों को दिखाईं तो सारी ग़ज़लें मुस्कुराने लगीं और अंजुमन प्रकाशन के स्पर्श से ‘मुस्कुराती है सुबह' नाम से सारी ग़ज़लें दीवान में ढल गयीं। ये मैं अच्छी तरह से जानता हूँ कि मैं ग़ज़ल-गो नहीं हूँ इसलिए ग़ज़ल के जानकारों की नज़र में यह बहुत मामूली ग़ज़लें हो सकती हैं लेकिन मैं यह अच्छी तरह से जानता हूँ कि ये बहुत आसान ग़ज़लें हैं आसानी से समझ में आने वाले शेर हैं क्योंकि आसान लिखना बहुत मुश्किल होता है इसलिए इस प्रथम संग्रह में मैंने बहुत मुश्किल काम किया है।
Suraahee Mein Samundar

लेखक की क़रीब सौ ग़ज़लों और नज़्मों के इस मेले में ग़ज़ल को ज़िन्दगी में और ज़िन्दगी को ग़ज़ल में उतारने की कोशिश की गई है। ये ग़ज़लें इंसानी ज़िन्दगी के रूहानी पहलुओं को बयाँ करते हुए दस्तावेज हैं। इसमें देशभक्ति और आध्यात्मिक आयामों को भी छुआ गया हैI बंदूक़ के शोलों ने नहीं इसको सिला है इस मुल्क के धागे बस मोहब्बत के मिलेंगे दुनिया का कोई सा भी चमन घूम लीजिए खिलते गुलाब आपको भारत के मिलेंगे *** माँ की रही, बेटे पे, बचपन में हुकूमत पर दादी बनी तो उस पर नाती की हुकूमत है ना तेल, ना ही उसको दिखती दियासलाई आतिश समझ रही है बाती की हुकूमत है तुर्बत में उतारे गए जब बादशाह सलामत मालूम हुआ, माटी पे माटी की हुकूमत