Abhishapt Ka Matlab

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Abhishapt Nayak

Novel based on social and psychological theme; previously serialized in Sarika, a magazine.
Abhishapt Janjatiyan : Asmita Ki Samasyaein

Author: Malli Gandhi and V. Lalita
language: hi
Publisher: Rajkamal Prakashan
Release Date: 2024-08-01
स्टुअर्टपुरम और कप्पाराला टिप्पा पूर्व-अपराधी जनजातियों की बस्तियों के सम्बन्ध में प्रस्तुत यह पुस्तक आन्ध्र प्रदेश की विमुक्त जनजातियों के सम्बन्ध में उपलब्ध साहित्य के भंडार में एक स्वागत योग्य योगदान है। इन विमुक्त जनजातियों की कुल पाँच बस्तियाँ हैं। प्रस्तुत अध्ययन इनमें से दो—स्टुअर्टपुरम और कप्पाराला टिप्पा पर केन्द्रित है। स्टुअर्टपुरम मुख्य रूप से एक कृषि बस्ती है, यद्यपि चिराला कस्बे की निकटता के कारण इसका स्वरूप अर्द्धशहरी है। यहाँ इंडियन लीफ टोबैको कम्पनी स्थित है। स्टुअर्टपुरम की देखभाल साल्वेशन आर्मी को सौंपी गई थी जिसने यहाँ एक स्कूल और अस्पताल स्थापित किया है। आदिवासियों के लिए एक छात्रावास भी है। मुक्ति-सेना आज भी सेवा कार्य कर रही है। कप्पाराला टिप्पा की बस्ती अथवा बिट्रागुंटा सुधार बस्ती नेल्लोर जिले में है। पूर्व-अपराधी जनजाति बस्तियों में कप्पाराला की बस्ती सबसे पुरानी है। यह 1912 में स्थापित कावाली बस्ती से विकसित हुई है, जिसे अमरीका के बैपटिस्ट मिशनरियों ने बसाया था। इन बस्तियों से निकले कुख्यात डाकुओं की अपराध-प्रखरता के कारण अनेक सामाजिक रूप से सक्रिय जनों, जैसे विजयवाड़ा के नास्तिक केन्द्र के लवानम और श्रीमती हेमलता लवानम का ध्यान इसकी ओर गया जो यहाँ के निवासियों की अपराध-संस्कृति में बदलाव लाने के लिए दिन-रात अपना समय और ऊर्जा व्यय कर रहे हैं। प्रस्तुत कृति के लेखकों ने संग्रहालयों में अनुपलब्ध रिकॉर्ड और अभिलेख प्राप्त करने में सफलता पाई है। उन्होंने इस कृति से सम्बन्धित द्वितीयक स्रोतों की भी गहराई से छानबीन की है। इस पुस्तक को असाधारण बनाने वाली बात यह है कि उन्होंने विचाराधीन बस्तियों का अध्ययन दो भिन्न परिप्रेक्ष्यों के अन्तर्गत किया है। स्टुअर्टपुरम का अध्ययन ऐतिहासिक दृष्टिकोण से तो कप्पाराला टिप्पा का अध्ययन समाजशास्त्रीय दृष्टि से हुआ है। दोनों ही लेखकों को विमुक्त जनजातियों से सम्बन्धित विषयों पर शोध करने का व्यापक अनुभव है। उनके अनेक लेख और निबन्ध विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। यह पुस्तक उन अध्येताओं और शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी रहेगी जो औपनिवेशिक नृतत्त्व, अपराध विधि, औपनिवेशिक इतिहास, समाजविज्ञान, नृतत्त्वविज्ञान, कानून, राजनीति और विमुक्त जनजातियों में रुचि रखते हैं, विशेष रूप से जिनका सम्बन्ध अनुसूचित जातियों, घुमन्तू, अर्द्ध घुमन्तू जनजातियों और भारत के सीमान्त वर्गों से है।