Mere Ghar Ke Sadasya Hindi Story


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मेरी कहानियाँ-रवीन्द्र नाथ टैगोर (Hindi Sahitya)


मेरी कहानियाँ-रवीन्द्र नाथ टैगोर (Hindi Sahitya)

Author: रवीन्द्र नाथ टैगोर

language: hi

Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.

Release Date: 2013-02-10


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रवीन्द्रनाथ टैगोर उन साहित्य-सृजकों में हैं, जिन्हें काल की परिधि में नहीं बाँधा जा सकता। रचनाओं के परिमाण की दृष्टि से भी कम ही लेखक उनकी बराबरी कर सकते हैं। उन्होंने एक हज़ार से भी अधिक कविताएँ लिखीं और दो हज़ार से भी अधिक गीतों की रचना की। इनके अलावा उन्होंने बहुत सारी कहानियाँ, उपन्यास, नाटक तथा धर्म, शिक्षा, दर्शन, राजनीति और साहित्य जैसे विविध विषयों से संबंधित निबंध लिखे। उनकी दृष्टि उन सभी विषयों की ओर गई, जिनमें मनुष्य की अभिरुचि हो सकती है। कृतियों के गुण-गत मूल्यांकन की दृष्टि से वे उस ऊँचाई तक पहुँचे थे, जहाँ कुछेक महान् रचनाकर ही पहुँचते हैं। जब हम उनकी रचनाओं के विशाल क्षेत्र और महत्व का स्मरण करते हैं, तो इसमें तनिक आश्चर्य नहीं मालूम पड़ता कि उनके प्रशंसक उन्हें अब तक का सबसे बड़ा साहित्य-स्रष्टा मानते हैं। इस पुस्तक में रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रसिद्ध कहानियों को एक साथ प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।

मेरी कहानियाँ खण्ड 1 - प्रदीप श्रीवास्तव (Hindi Sahitya)


मेरी कहानियाँ खण्ड 1 - प्रदीप श्रीवास्तव (Hindi Sahitya)

Author: प्रदीप श्रीवास्तव Pradeep Srivastava

language: hi

Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.

Release Date: 2024-11-28


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प्रदीप श्रीवास्तव की पच्चीस कहानियाँ

मेरी कहानियाँ-खुशवन्त सिंह (Hindi Sahitya)


मेरी कहानियाँ-खुशवन्त सिंह (Hindi Sahitya)

Author: खुशवन्त सिंह

language: hi

Publisher: Bhartiya Sahitya Inc.

Release Date: 2013-03-10


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कौन कहता है कि कहानी का अंत हो चुका है? भारत में तो अभी-अभी इसका पुनर्जन्म हुआ है और साहित्यिक पंडितों के अनुसार इसकी जन्मपत्री में लिखा है कि इसकी उम्र बहुत लंबी और समृद्ध होगी। अन्य अनेक विकासशील देशों की तरह भारत में भी कागज की उपलब्धता और प्रिटिंग की तकनीक शुरू होने से पहले साहित्य की दो ही विधाएँ प्रचलित थीं–एक कविता और दूसरी लोक-नाट्य। इन दोनों विधाओं का माध्यम अलिखित था। रचनाओं को कंठस्थ कर पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाया जाता था। सामान्य जन में शिक्षा का प्रसार होना तो अभी हाल की ही घटना है। कविता और लोक-नाट्य के बाद जो एक और विधा लोगों में लोकप्रिय थी, वह थी, ‘लतीफा’ या ‘दंतकथा’ थोड़े से शब्दों में कोई शिक्षा या संदेश देने का माध्यम होती थीं ये कथाएँ जिनका अंत हमेशा एक ऐसी पंक्ति से होता था जिसमें कथा का सार छुपा होता।